Bihar Board Class 9 Hindi निबंध (Nibandh Class 9th Hindi Solutions)Text Book Questions and Answers
10. निबंध
पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ ‘निबंध‘ में लेखक ने निबंध-लेखन की कला पर प्रकाश डाला है। लेखक का कहना है कि निबंध-लेखन का सही ज्ञान नहीं होने के कारण छात्र परीक्षा में अच्छे अंक पाने से वंचित रह जाते हैं । लेखक का मानना है कि संसार में जितनी वस्तुएँ हैं, सभी निबंध का विषय बन सकती हैं। लेकिन निबंध-लेखन की सही जानकारी नहीं होने के कारण परीक्षक पाठक ऐसे निबंधों को न तो आद्योपान्त पढ़ पाते हैं और न छात्र लेखकों को अच्छे अंक मिल पाते हैं। इसलिए निबंध-लेखक पाठ को ध्यान में रखकर निबंध लिखना चाहिए । निबंध पाठक एवं लेखक के बीच सेतु का काम करता है। निबंध विचारों की सुनियोजित अभिव्यक्ति है, इसलिए इसमें कसाव होगा, ढीलापन नहीं । निबंध की कोई निर्धारित पृष्ठ संख्या नहीं है। इसका कलेवर बढ़ाने के साथ-साथ नाम भी बदल जाता है, जैसे-प्रबंध, महानिबंध, शोध-प्रबंध, शोध-निबंध आदि।
लेखक का कहना है कि निबंध के लिए निरंतर प्रवाह का होना अनिवार्य है। फ्रैंसिस बेकन तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबंध इसके प्रमाण हैं।
निबंध-लेखन में छात्र लेखकों द्वारा विषय-प्रतिपादन के साथ, विचारों के पल्लवन के साथ तथा भाषा-शैली के साथ अतिक्रमण होने के कारण हिंदी निबंध नीरस, बोझिल और उबाऊ हो जाता है। अतः हिंदी निबंध तो कहीं की ईंट और कहीं के रोड़े से निर्मित होता है और न भानुमती का पिटारा ही है, बल्कि यह एक ऐसी विधा है जिसमें भूगोल, इतिहास, भौतिकी, रसायन हर विषय पर निबंध लिखा जा सकता है।
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निबंध में उद्धरण देने के संबंध में लेखक का कहना है कि हिंदीतर भाषाओं का उद्धरण देते समय उसका हिंदी अनुवाद पहले दे दें और टिप्पणी में मूल पंक्तियों का कम-से-कम लेखक के नाम के साथ, हवाला अवश्य दें।‘ अन्यथा वह उद्धरण पाण्डित्य का द्योतक न बनकर, बेवकूफी का उद्घोषक बन जाता है। हिंदी निबंध की दुर्दशा के विषय में लेखक का तर्क है कि छात्र रबर समझकर मनमानी खींचतान करते हुए पृष्ठ को भद्दे तरीकों से भर देते हैं, जिससे निबंध का स्वरूप विकृत हो जाता है। इसलिए निबंध कैसा होना चाहिए, के संबंध में लेखक ने अपना विचार प्रकट किया है कि अच्छे निबंधके लिए कल्पनाशक्ति का होना आवश्यक होता है, क्योंकि कल्पना अज्ञातलोक काप्रवेशद्वार हैं। इसका सहारा लेकर एक ही विषय पर विभिन्न प्रकार के निबंध लिखे जासकते हैं, जबकि “परिचय, लाभ-हानि, उपसंहार” वाली पुरानी रीति पर लिखे गए निबंध एक ही तरह के हैं। लेखक ने छात्रों से गाय पर निबंध लिखवाकर अनुभव किया कि गाय तो खूटे में बँधी रह गई तथा लिखने वालों की बुद्धि बथान से बाहर न निकल पाई। इसलिए कल्पनाशक्ति के द्वारा किसी विषय के विभिन्न पक्षों से साक्षात्कार करके, उसके परतों को उकेर कर निबंधों को ऐसा बना दिया जाए कि पाठक आद्योपान्त सरसता के साथ पढ़ें।निबंध-लेखन के लिए व्यक्तिगत अनुभव का होना अति आवश्यक है, क्याकि कल्पना के द्वारा उस विषय से परिचित होकर उस आधार पर अपने अनुभव गढ़ सकते है जो निबंध को आकर्षक बनाएँगे। निबंध को आकर्षक, विश्वासोत्पादक तथा रोचक बनाने के लिए विषय से जुड़ना तथा जुड़कर अपने अनुभवों का तर्कसंगत ढंगसे उल्लेख करना नितांत – आवश्यक है। इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण हैं, डॉ.हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं?’ इसका विषय बिल्कुल अनसुना, लेकिन कल्पना और निजी संपर्क के आधार पर प्रतिपादन इतना विश्वसनीय है कि पाठक विस्मय विमुग्ध हो जाता है । यद्यपि निबंध छोटा है, परन्तु उतने में ही मनुष्य की आदिम व्यवस्था से लेकर आज तक की जययात्रा का समस्त वृत्तांत तथा सभ्यता के बाद भी मनुष्य के भीतरवाले पशु का बढ़ते नाखूनों के रूप में सिर उठाना हमारे विचारों को झकझोर देता है। इस प्रकार श्रेष्ठ निबंध के लिए कल्पना तथा व्यक्तिगत अनुभवों के साथ-साथ विषय से संबंधित आँकड़े, पुस्तकीय ज्ञान, पत्र-पत्रिकाओं की सूचनाएँ तथा विभिन्न लेखों-निबंधों से प्राप्त जानकारियाँ आवश्यक हैं। अतः निबंध को लोकप्रिय बनाने के लिए उसकी प्राचीन शास्त्रीयता को एक हद तक ढीला करके लालित्य तत्त्व से मढ़ दिया गया है। ऐसे ललित निबंध लेखकों में डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ. विद्यानिवास मिश्र, देवेन्द्रनाथ शर्मा, कुबेरनाथ राम आदि प्रमुख हैं , इनके निबंध वैयक्तिक निबंध होते हुए भी उबाऊ प्रतीत नहीं होते । अतः निबंध का आरंभ इतना रोचक हो कि पाठक पढ़ने के लिए लालायित हो उठे। निष्कर्षतः उत्कृष्ट निबंध-लेखन के लिए कल्पनाशक्ति, वैयक्तिक अनुभव, विषयवस्तु का प्रतिपादन तथा सहज भाषा का प्रयोग अनिवार्य है।
अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर
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पाठ के साथ :
प्रश्न 1. निबंध लेखन का मूल उद्देश्य क्या है ?
उत्तर – निबंध लेखन का मूल उद्देश्य पाठक एवं लेखकों के बीच सेतु का निर्माण करना तथा अपने विचारों को इस प्रकार प्रतिपादित करना है कि वह पाठक के हृदय को झकझोर दे ।
प्रश्न 2. निबंध लेखन के समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है ?
उत्तर – निबंध लेखन के समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना जरूरी होता है
(क) भ्रांत एवं निर्मूल धारणाओं को दूर करने का प्रयास करना ।
(ख) निबंध-लेखन के समय पाठकों का ध्यान रखना, ताकि पाठक उसे आद्योपांत पढ़ सके ।
(ग) अपनी बातों को सुरुचिपूर्ण ढंग से प्रतिपादित करने का प्रयास करना ।
(घ) एक ही शब्द की आवृत्ति से बचने का प्रयास करना ।
(ङ) निबंध में दिए गए उद्धरणों के लेखकों का नाम अंकित करना तथा उद्धरण के भावों को स्पष्ट करना ।
(च) किसी भी बात को बढ़ा-चढ़ाकर लिखने से परहेज रखना ।
(छ) पिटी-पिटाई लीक से हटकर अपनी कल्पना एवं निजी अनुभवों के सहारे विषय- वस्तु का प्रतिपादन करना तथा अनावश्यक पृष्ठ संख्या बढ़ाने का प्रयास न करना ।
प्रश्न 3. लेखक ने निबंध की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर – लेखक ने कहा है— निबंध विचारों की सुनियोजित अभिव्यक्ति है जिसकी कोई निर्धारित पृष्ठ संख्या नहीं होती, लेकिन निरंतर प्रवाह निबंध के लिए अनिवार्य है।
प्रश्न 4. निबंध लेखन में लेखक किस अत्याचार की बात करता है, जिससे हिंदी निबंध बोझिल, नीरस और ऊबाऊ हो जाता है ?
उत्तर – निबंध-लेखन के साथ जिन अत्याचारों की बात लेखक करता है, वे -विषय-प्रतिपादन के साथ, विचारों के पल्लवन के साथ, भाषा और शैली के साथ; जिसका परिणाम यह होता है कि हिंदी निबंध नीरस, बोझिल और उबाऊ हो जाता है।
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प्रश्न 5. निबंध लेखन में हिंदीतर भाषाओं के उद्धरण में किस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है ?
उत्तर— लेखक का कहना है कि हिंदीतर भाषाओं का उद्धरण देते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि उसका हिंदी अनुवाद पहले दें तथा बाद में टिप्पणी में मूल पंक्तियों का कम-से-कम लेखक के नाम के साथ, हवाला दे दें ।
प्रश्न 6. अच्छे निबंध के लिए क्या आवश्यक है ? विस्तार से तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए ।
उत्तर- अच्छे निबंध के लिए कल्पनाशक्ति का होना अनिवार्य होता है। कल्पना अज्ञातलोक का प्रवेश द्वार है। इसका सहारा लेकर एक ही विषय पर भिन्न-भिन्न प्रकार “के निबंध लिखे जा सकते हैं । कल्पना के द्वारा उस विषय के विभिन्न पक्षों से साक्षात्कार करके, उसकी असंख्य परतों को उकेरकर निबंध इस प्रकार लिखा जाए कि पाठक चाव से उसे आद्योपांत पढ़ ले। इसी प्रकार निबंध को आकर्षक, विश्वासोत्पादक तथा रोचक बनाने के लिए विषय से जुड़ना तथा जुड़कर अपने अनुभवों का तर्कसंगत ढंग से उल्लेख करना नितांत आवश्यक है। तात्पर्य कि अच्छे निबंध न तो उबाऊ होते हैं और न ही शोधमुखी । अच्छे निबंध के लिए विषय से संबंधित आँकड़े, पुस्तकीय ज्ञान, पत्र- पत्रिकाओं की सूचनाएँ तथा विभिन्न लेखों – निबंधों से प्राप्त जानकारियाँ का यथास्थान उल्लेख करना आवश्यक होता है। इसके साथ ही, निबंध का आरंभ ऐसा रोचक हो कि पाठक पढ़ने के लिए लालायित हो उठे । निबंध की भाषा सहज एवं स्वाभाविक होनी चाहिए। निष्कर्षत: अच्छे निबंध के लिए यह आवश्यक है कि निबंध का विषय कल्पना एवं निजी संपर्क के आधार पर प्रतिपादन इतना विश्वसनीय हो कि पाठक विस्मयविमुग्ध, रह जाए ।
प्रश्न 7. निबंध लेखन की क्या प्रक्रिया बताई गई है । पाठ के आधार पर बताएँ ।
उत्तर — निबंध लेखन की प्रक्रिया के संबंध में लेखक ने कहा है कि किसी भी विषय पर निबंध लिखने से पहले उसका सही ज्ञान या जानकारी प्राप्त करना आवश्यक होता है । क्योंकि निबंध न तो कहीं की ईंट कहीं के रोड़े से निर्मित होता है और व भानुमती का पिटारा ही है । निबंध एक ऐसा विषय है, जिसमें सब कुछ रहता हैं।
सर्वप्रथम निबंध का प्रारंभ ऐसी पंक्तियों से करना चाहिए कि पाठक पढ़ने के लिए लालायित हो उठे। ये पंक्तियाँ उत्सुकता जगाने वाली होनी चाहिए । विषय-वस्तु का प्रतिपादन इतना प्रवाहपूर्ण हो कि पाठक कहीं भी ऊब का अनुभव न करें । उद्धरण देते , समय इस बात का ख्याल रखना आवश्यक होता है कि उसका हिन्दी अनुवाद पहले दें, और बाद में टिप्पणी में मूल पंक्तियों का कम-से-कम लेखक के नाम का हवाला दें । निबंध को अनावश्यक खींचतान नहीं करें । अतः निबंध की कोटि तक पहुँचने के लिए उसमें वह सब सन्निहित की जानी चाहिए, जिससे उसका व्यक्तित्व प्रकट हो सके । निष्कर्षतः लेखक ने निबंध लेखन प्रक्रिया में कल्पनाशक्ति, निजी अनुभव एवं भाषा-शैली का समुचित एवं स्वाभाविक प्रयोग करने की सलाह दी है, ताकि भाव की अभिव्यंजना सहज रूप में हो ।
प्रश्न 8. निबंध के कितने प्रकार होते हैं ? भेदों के साथ उनकी परिभाषा भी दीजिए ।
उत्तर — निबंध प्रायः दो प्रकार के होते हैं – विचार प्रधान तथा भाव प्रधान अर्थात् वस्तुनिष्ठ एवं आत्मनिष्ठ ।
विचार प्रधान निबंध उसे कहते हैं जिसमें विचारों की सुनियोजित अभिव्यक्ति होती है । फ्राँसिस बेकन तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबंध इसके प्रमाण हैं ।
भाव प्रधान निबंध उसे कहते हैं जिसमें कल्पना तत्व की प्रधानता होती है । कल्पना एवं व्यक्तिगत अनुभवों के मेल से लिखे गए निबंध जो मानव हृदय को झकझोर दे । डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी तथा विद्यानिवास मिश्र इसके समर्थ और साक्षी हस्ताक्षर हैं ।
प्रश्न 9. निबंध लेखन के अभ्यास से छात्र किन समस्याओं से निजात पा सकता है ?
उत्तर – निबंध-लेखन के अभ्यास से छात्र अंक संबंधी समस्याओं से निजात पा सकता है, क्योंकि अभ्यास से सतर्कता एवं जागरूकता आ जाएगी। पाठ लेखक को सबसे बड़ी भ्रांत धारणा पृष्ठ संख्या को लेकर होती है । लेखक द्वारा बराबर के अभ्यास से भाषा-शैली संबंधी, पृष्ठ संख्या संबंधी तथा उद्धरण संबंधी समस्याएँ दूर हो जाती हैं ।
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प्रश्न 10. निबंध लेखन में कल्पना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर—निबंध लेखन में कल्पना तत्व की अति आवश्यकता है, क्योंकि कल्पना अज्ञात लोक का प्रवेश द्वार है । विज्ञान के मूल में भी कल्पना ही है। किसी भी चीज को सुंदर और सुरुचिपूर्ण बनाने के लिए कल्पना से काम लेना अत्यावश्यक हो जाता है । कल्पना जीवन की ऊर्जा होती है। इसके सहारे एक विषय पर भिन्न-भिन्न प्रकार के निबंध लिखे जा सकते हैं । अतः कल्पना का महत्त्व किसी विषय की नवीनता तथा प्रतिपादन को आकर्षक बनाने के लिए होता है । इस प्रकार कल्पना के द्वारा उस विषय के विभिन्न पक्षों साक्षात्कार करके, उसकी असंख्य परतों को उकेर करके निबंध को ऐसा बनाया जा सकता है कि पाठक चाव से निबंध पढ़ ले |
प्रश्न 11. आचार्य शुक्ल के निबंध किस कोटि में आते हैं और क्यों ?
उत्तर – आचार्य शुक्ल के निबंध विचारात्मक निबंध कोटि में आते हैं क्योंकि इन्होंने द्विवेदी युग की शास्त्रीय गद्य-शैली को एक नया रूप देकर उसे बहुत ऊँचा उठा दिया, जिसमें विषयों के विश्लेषण और पर्यालोचन की दृष्टि से वैज्ञानिक की सी सूक्ष्मता और सतर्कता दिखाई देती है और भावों को प्रेरित करने के विचार से पूर्ण सहृदयता के दर्शन होते हैं । इनके घनीभूत वाक्यों की ध्वनि दूर तक जाती है । हिन्दी में ऐसे विचारात्मक निबंध संख्या में विरल ही हैं । इन्होंने ही सबसे पहले निबंध के माध्यम से साहित्य तथा जीवन की जटिल समस्याओं को सुलझाने का शास्त्रीय प्रयत्न किया था ।
प्रश्न 12. ललित निबंध की क्या विशेषता होती हैं ?
उत्तर – ललित निबंध की विशेषता होती है कि शास्त्रीय संगीत के गांढ़ेपन को जिस प्रकार थोड़ा घोलकर सुगम संगीत बना दिया गया है, उसी तरह निबंध को भी लोकप्रिय बनाने के लिए उसकी प्राचीन शास्त्रीयता को एक हद तक ढीला करके लालित्य तत्व से मढ़ दिया गया है | अतः ललित निबंध की विशेषता यह होती है कि यह हमारे विचारों को झकझोर देती है जिसमें कल्पना एवं निजी अनुभव अभिव्यक्त रहते हैं ।
प्रश्न 13. निबंध को सुरुचिपूर्ण बनाने की दिशा में भाषा के महत्त्व पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – निबंध को सुरुचिपूर्ण बनाने की दिशा में भाषा का अमूल्य योगदान होता है। हम अपने मन के विचारों या भावों को भाषा के द्वारा ही प्रकट करते हैं तथा दूसरों के विचारों या भावों से परिचित होते हैं । भाषा ही सोचने, विचारने तथा पहचानने का सर्वश्रेष्ठ साधन है । इसी के द्वारा अन्य सभी विषयों का अध्ययन संभव होता है । भाषा तो मानव का मूल व्यवहार है । भाषा जितनी सहज, सरल तथा स्वाभाविक होती है, पाठक उतनी ही सहजता से विषय-वस्तु से अवगत हो जाता है । तात्पर्य यह है कि भाषा ऊटपटांग तथा बोझिल होने पर पाठक में अरूचि पैदा कर देती है, इसलिए भाषा सहज हो, वाक्य छोटे- छोटे तथा प्रवाहपूर्ण हों, ताकि पाठक को पढ़ते समय ऐसा प्रतीत हो कि उसे विषय के साथ तादात्म्य स्थापित हो गया है । अतः निबंध को सुरूचितपूर्ण बनाने की दिशा में भाषा के महत्त्व को बराबर ध्यान में रखना होता है, क्योंकि भाषा पर ही निबंध की सफलता- असफलता निर्भर करती हैं ।
नोट : पाठ के आस-पास के प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं तैयार करें ।
भाषा की बात ( व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर ) :
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प्रश्न 1. संधि विच्छेद करें :
संभावना, अत्याचार, अत्यावश्यक, दुग्धोत्पादनं, संस्कृति, सद्भाव, विश्वविद्यालय
उत्तर :
शब्द संधि-विच्छेद
संभावना – सम् + भावना
अत्याचार – अति + आचार
अत्यावश्यक – अति + आवश्यक
दुग्धोत्पादन – दुग्ध + उत्पादन
संस्कृति – सम् + कृति
सदभाव – सद् + भाव
विश्वविद्यालय – विश्व + विद्या + आलय
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों से विशेषण बनाइए :
प्रतिभा, ज्ञान, रचना, संसार, प्रमाण, आनंद
उत्तर : प्रतिभा = प्रतिभाशाली
ज्ञान = ज्ञानी
रचना = रचित
संसार = सांसारिक
प्रमाणे = प्रामाणिक
आनंद = आनंददायक
प्रश्न 3. उद्गम की दृष्टि से शब्दों को चुनिए
फिजिक्स, उलजलूल, ऊटपटांग, गालिब, बेवकूफी, कृषक, संस्कृति ।
उत्तर : फिजिक्स = विदेशज
ऊटपटांग = तद्भव
गालिब = तत्सम्
बेवकूफी = देशज
कृपक = तत्सम्
संस्कृति = तत्सम्
प्रश्न 4. भानुमति का पिटारा, रोब गालिब करना मुहावरों का अर्थ वाक्य- प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें ।
उत्तर – भानुमति का पिटारा – हिन्दी निबंध भानुमती का पिटारा नहीं बल्कि हिन्दी निबंध में सब कुछ है ।
रोब गालिब करना – छात्र हिंदी निबंध में अंग्रेजी का उद्धरण देकर रोब गालिब करने का प्रयास करते हैं ।
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