Bihar Board Class 9 Hindi पुरा हिन्दुस्तान मिलेगा (Pura Hindustan Milega Class 9th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
7. पुरा हिन्दुस्तान मिलेगा
कवि— केदारनाथ अग्रवाल
इसी जन्म में,
इस जीवन में
हमको तुमको मान मिलेगा।
गीतों की खेती करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा ।
अर्थ– कवि आम जनता में आशा की स्फूर्ति जगाते हुए कहता है कि वह दिन दूर नहीं है जब जनता मान-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करेगी। पूँजीपतियों का शोषण बंद होगा तथा लोग खुशी के गीत गाएँगे।
व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिवादी कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित कविता ‘पूरा हिंदुस्तान मिलेगा’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसमें कवि जनता में आशा का संचार करता है।
कवि कहता है कि पूँजीपतियों के शोषण से मुक्ति पाते ही आम जनता की दशा सुधर जाएगी। सभी स्वतंत्र वातावरण में साँस लेने लगेंगे। खुशियों के फूल खिलजाएँगे। लोग मान-सम्मान के साथ जीवन बिताएँगे। कवि इस कविता के माध्यम से जनता में विश्वास जगाना चाहता है कि इन शोषक वर्गों का अंत होते ही जनता को सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत करने का अवसर मिलेगा और लोग खुशी के गीत गाने लगेंगे। यह कविता संबोधन शैली में है। भाषा खड़ीबोली है । मुक्त छंद है।
क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा,
हमको तुमको त्रान मिलेगा।
फूलों की खेती करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा ॥
अर्थ—कवि अग्रवाल जी कहते हैं कि दुःख के बाद ही सुख के दिन आते हैं।तात्पर्य कि दुःखपूर्ण जीवन बिताने वाले अपने परिश्रम के सहारे सुखपूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे। उनमें जब चेतना आएगी तो उन्हें शोषक वर्गों के शोषण से मुक्ति मिल जाएगी। सर्वत्र खुशी के फूल खिल जाएँगे । अतः कवि के कहने का भाव यह है कि जैसे ही देश में एकता का भाव विकसित होगा, पूँजपतियों, शोषकों, सूदखोरों का वर्चस्व खत्म होगा, जनता आजाद भारत में खुली साँस लेगी। सर्वत्र खुशियाली छा जाएगी।
व्याख्या– प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिवादी कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा लिखित कविता ‘पूरा हिंदुस्तान मिलेगा’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इनमें कवि नेपूँजीपतियों, सूदखोरों, नेताओं आदि की निंदा करते हुए जनता में आशा की स्फूर्ति जगाने का प्रयास किया है।
कवि का कहना है कि आजाद हिंदुस्तान में जनता सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत करेगी। जनता में जागृति आएगी। शोषक वर्गों का अंत होगा । अर्थात् पूँजीवादी व्यवस्था नष्ट होते ही लोगों को उचित हक मिलेगा। फतलः जनता का सुखमय जीवन होगा। समाजवादी व्यवस्था में जनता का सर्वांगीण विकास होगा। सारे भेदभाव, ऊँच-नीच, गरीब-अमीर की भावना नष्ट हो जाएगी। इस प्रकार, सारा हिंदुस्तान सबका अपना होगा। कविता संबोधन शैली में रचित है। देश के निर्धन, असहाय, किसान तथा बेरोजगारों की दयनीय दशा का चित्रण है।
दीप बुझे हैं,
जिन आँखों के ;
इन आँखों को ज्ञान मिलेगा |
विद्या की खेती करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा ॥
अर्थ-कवि का कहना है कि जिन लोगों की आँखों के दीपक बुझे हुए हैं अर्थात् जिनमें चेतना का अभाव है, उनमें चेतना का संचार किया जाएगा, ताकि वे अपने अधिकार के प्रति जागरुक हो सकेंगे। सबके लिए शिक्षा की समुचित व्यवस्था होगी। सभी पढ़ने-लिखने में रुचि लेंगे। इस प्रकार जनता शिक्षा प्राप्त कर सुखमय जीवन बिताने लगेंगी।
व्याख्या—प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रगतिवादी तथा शोषकों के कटु आलोचक कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा विरचित कविता ‘पूरा हिंदुस्तान मिलेगा’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इनमें कवि ने आजाद हिंदुस्तान का चित्र निरूपित करते हुए अपना विश्वास प्रकट किया है।
कवि कहता है कि आजादी के बाद देश का परिदृश्य बदल जाएगा। जिन आँखों के दीपक बुझे हुए हैं, अर्थात् जिन्हें अपने दायित्व का समुचित ज्ञान नहीं है, उन्हेंदायित्व के प्रति जागरुक किया जाएगा। वे शिक्षा प्राप्त कर अनुचित कार्यों का विरोध करेंगे। इसके लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार होगा। कवि के कहने का भाव यह है कि सारे देश में ज्ञान-विज्ञान का ऐसा विकास होगा कि जनता की दशा स्वत: सुखमय हो जाएगी।
मैं कहता हूँ,
फिर कहता हूँ
हमको तुमको प्रान मिलेगा।
मोरों-सा नर्तन करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा ।
अर्थ–कवि आशा भरे शब्दों में कहता है कि आजाद हिंदुस्तान में सारी जनता को । नया जीवन मिलेगा, क्योंकि समाजवादी व्यवस्था के कारण शोषक वर्गों का अंत हो जाएगा। लोग अपनी खुशहाली देखकर मोर जैसे नाच उठेगे। अर्थात् पूँजीवादी व्यवस्था तथा शोषण की प्रवृत्ति नष्ट होने के कारण जनता खुशी से झूम उठेगी।
आशय– प्रस्तुत पंक्तियाँ समाजवादी विचारधारा के समर्थक कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा लिखित कविता ‘पूरा हिंदुस्तान मिलेगा’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसमें । कवि देश की निरीह एवं शोषित जनता में आशा का संचार करते हुए कहता है कि समाजवादी व्यवस्था कायम होते ही शोषित, पीड़ित, भूखे तथा नंगे लोगों के जीवन में खुशहाली आ जाएगी। उन्हें शोषकों के शोषण से मुक्ति मिल जाएगी। अपना सुखमय जीवन देख सभी मयूर की भाँति प्रसन्नता से झूम उठेगे । कवि के मानस में आजाद हिंदुस्तान का ऐसा चित्र है जिसकी उर्वरभूमि में मान-सम्मान, स्वतंत्रता और खुशियों के फूल खिलेंगे।
अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर
कविता के साथ :
प्रश्न 1. कवि के आशावादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें ।
उत्तर—कवि प्रगतिवादी विचारधारा का है। उसका मानना है कि आजाद हिंदुस्तान में सत्ता की शक्ति जनता में निहित होगी, जिस कारण सत्तावर्ग की मनमानी पर अंकुश लग जाएगी। लोग सत्ता का दुरूपयोग करने वालों को अपने मत बल के सहारे उन्हें सत्ता से. च्युत कर देंगे । फलतः देश में एक ऐसा वातावरण बन जाएगा जिसमें सबके मान- सम्मान की रक्षा होगी। लोग स्वतंत्रता के इस माहौल में निर्भयपूर्वक जीवन-यापन करेंगे । कहीं कोई भय या आतंक नहीं रहेगा।
प्रश्न 2. कवि के मन में आजाद हिंदुस्तान की कैसी कल्पना है ?
उत्तर—कवि के मन में आजाद हिंदुस्तान की ऐसी कल्पना है जिसमें हर व्यक्ति मान-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करेगा। स्वतंत्र वातावरण होगा तथा खुशियों के फूल खिलेंगे। तात्पर्य कि आजाद हिंदुस्तान में जनता हर दृष्टि से श्री – सम्पन्न होंगी ।
प्रश्न 3. कवि आजाद हिंदुस्तान में गीतों और फूलों की खेती क्यों करना चाहता है ?
उत्तर—कवि आजाद हिंदुस्तान में गीतों और फूलों की खेती सौंदर्यबोध के लिए करना चाहता है । कवि का मानना है कि गीत प्रसन्नता के प्रतीक होते हैं । इसके माध्यम से व्यक्ति अपने हृदय का उद्गार प्रकट करता है तो फूल के माध्यम से अपनी समृद्धि को । अर्थात् जहाँ शांति एवं स्नेह का वातावरण होता है, वहाँ गीत एवं फूल दोनों अधिक के लिए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इसीलिए कवि गीत एवं फूलों की खेती करना महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि खुशी में लोग गीत गाते हैं तथा अपनी आस्था प्रकट करने चाहता है ।
प्रश्न 4. इस कविता में विद्या की खेती का क्या अभिप्राय है?
उत्तर- इस कविता में विद्या की खेती से अभिप्राय शिक्षा-प्रसार से है । कवि का मानना है कि जो अशिक्षित हैं, वे शिक्षा प्राप्त कर अपने साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध खड़े होंगे तथा सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत करना चाहेंगे ।
प्रश्न 5. इस कविता के केन्द्रीय भाव पर प्रकाश डालें ।
उत्तर—इस कविता में कवि ने एक ऐसे राष्ट्र की परिकल्पना की है जिसमें हर व्यक्ति मान-सम्मान के साथ जीवन का आनंद लेगा । सबका जीवन सुखमय होगा। स्वतंत्रता, ज्ञान तथा खुशियों के फूल खिलेंगे। सर्वत्र विकास की धारा प्रवाहित होती दिखाई देगी। पूँजीपतियों, मिल-मालिकों, सूदखोरों आदि जैसे शोषक वर्ग के चंगुल से जनता मुक्त हो जाएगी । कवि के कहने का मूल भाव यह है कि समाजवादी व्यवस्था में हर व्यक्ति को समान रूप से विकास का मौका मिलेगा। सभी राष्ट्रीय विकास में हाथ बँटाएँगे, जिससे एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण होगा। इस प्रकार, प्रस्तुत कविता का केन्द्रीय भाव समग्र का हित और कल्याण है।
प्रश्न 6. कवि की राष्ट्रीय-भावना पर प्रकाश डालें ।
उत्तर— कवि जनवादी विचारधारा का है । वह शोषण तथा अन्याय का विरोधी है वह एक ऐसे राष्ट्र का संपोषक है जिसमें हर व्यक्ति का जीवन सुखमय हो । हर व्यक्ति मान-सम्मान से तथा स्वतंत्रतापूर्वक जीवन-यापन करे। कहीं कोई लूट-खसोट, अन्याय, शोषण न हो । कवि ने शोषक वर्ग की हृदयहीनता एवं क्रूरता की खुलकर निंदा की है।
कवि घोर राष्ट्रवादी हैं । उसमें राष्ट्रीयता की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है इसीलिए तो कवि ने लोगों को संदेश देने का प्रयास किया है कि सारा हिंदुस्तान हमारा है । हमें एकजुट होकर इसके चतुर्दिक विकास के लिए प्रयत्न करना है ।
प्रश्न 7. ‘मैं कहता हूँ / फिर कहता हूँ’ में कवि के किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है ?
उत्तर—प्रस्तुत कथन में कवि के जनवादी स्वप्न की अभिव्यक्ति हुई है। वह लोगों को विश्वास दिलाना चाहता है कि आजाद हिंदुस्तान का परिदृश्य ऐसा होगा, जिसमें अत्याचारियों का वर्चस्व नहीं रहेगा। सभी स्वतंत्रतापूर्वक सुख की साँस लेंगे और सम्मानित जीवन व्यतीत करेंगे ।
प्रश्न 8. ‘मोरों-सा नर्तन’ के पीछे कवि का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर- ‘मोरों-सा नर्तन’ के पीछे कवि का तात्पर्य है कि जब देश रूपी बाग श्रीसम्पन्न होगा तब जनता रूपी मोर नाच उठेंगे। उनकी दशा सुधर जाएगी। पूँजीपतियों के शोषण से उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। उनके जीवन में सहजता आ जाएगी। आजाद. हिंदुस्तान के उन्मुक्त वातावरण में अपने को विचरते देखकर जनता के मन में आशा का संचार होगा। फलतः लोगों में खुशियाँ छा जाएँगी ।
प्रश्न 9. इस कविता के उद्देश्य पर प्रकाश डालें ।
उत्तर— प्रस्तुत कविता का उद्देश्य जनता में आशा की स्फुर्ति जगाना तथा समाजवादी विचार के महत्त्व को समझाना और पूँजीपतियों, सूदखारों की हृदयहीनता एवं को उजागर करना है, जिनके शोषण के कारण किसानों एवं कामगारों की दयनीय क्रूरता दशा है। कवि आजाद हिंदुस्तान के परिदृश्य का चित्रण कर जनता में राष्ट्रीय चेतना के प्रति उसे जागरुक करना चाहता है, क्योंकि बिना जागरुकता के आपसी कलह एवं भय से मुक्ति पाना संभव नहीं । इसी कारण कवि इस बात पर जोर देता है कि मान-सम्मान, स्वतंत्रता, ज्ञान और खुशियों के फूल तभी खिलेंगे जब लोगों में चेतना आएगी तथा राष्ट्रीय सौन्दर्यबोध की समझ होगी ।
प्रश्न 10. (क) निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें ।
क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा
हमको तुमको त्रान मिलेगा ।
उत्तर: संकेत : पृष्ठ 173 पर व्याख्या संख्या-2 देखें ।
(ख) निम्नांकित पंक्तियों की व्याख्या करें :
दीप बुझे हैं,
जिन आँखों के,
इन आँखों को ज्ञान मिलेगा।
उत्तर: संकेत : पृष्ठ 174 पर व्याख्या संख्या-3 देखें ।
नोट : कविता के आस-पास के प्रश्नों के उत्तर छात्र स्वयं तैयार करें ।
भाषा की बात (व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर ) :
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के विलोम रूप लिखें :
उत्तर : शब्द विलोम रूप
जीवन मरण
मान अपमान
फूल शूल, काँटा
ज्ञान अज्ञान
प्रश्न 2. ‘विद्या’ का बहुवचन रूप लिखें ।
उत्तर- विद्याएँ, विद्याओं ।
प्रश्न 3. मान और ज्ञान से पाँच-पाँच वाक्य बताएँ ।
उत्तर— ‘मान’ से बने पाँच वाक्य :
(i) मानव जीवन में मान से बढ़कर कुछ नहीं है ।
(ii) राम ने अपने मान का ध्यान रखें बिना मोहन के घर चला गया।
(iii) मान से हीन व्यक्ति पशु के समान माना जाता है ।
(iv) सभा में नेताजी को काफी मान मिला ।
(v) गुणवान् व्यक्ति को सर्वत्र मान मिलता है ।
‘ज्ञान’ से बने पाँच वाक्य :
(i) ज्ञान की सब पूजा करते हैं ।
(ii) राम को अंग्रेजी का अल्प ज्ञान है ।
(iii) आचार्य कृपलानी के ज्ञान का सब लोहा मानते थे ।
(iv) अष्टावक्र का ज्ञान जानकर राजा जनक अभिभूत हो गए ।
(v) ज्ञान से हीन मानव पशुवत् माना जाता है ।
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