Bihar Board Class 8 Hindi बिहारी के दोहे (Bihari Ke Dohe Class 8th Hindi Solutions) Text Book Questions and Answers
6. बिहारी के दोहे
(बिहारी)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. उन पदों को लिखिए जिनमें निम्न बातें कही गई हैं :
(क) बाह्याडंबर व्यथ है ।
(ख) नम्रता का पालन करने से ही मनुष्य श्रेष्ठ बनता है ।
(ग) बिना गुण के कोई बड़ा नहीं होता ।
(घ) सुख–दुख समान रूप से स्वीकारना चाहिए ।
उत्तर : प्रश्न में दिये गये भावों से सम्बद्ध ‘पद’ निम्नांकित हैं
(क) जपमाला, छापै तिलक सरै न एकौ कामु । मन–काँचै नाचै वृथा, साँचै राँचे रामु ॥
(ख) नर की अरु नल नीर की गति एकै करी जोय । जेतो नीचौ ह्वै चलै तेतो ऊँचो होय ॥
(ग) बड़े न हूजै गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय । कहत धतूरे सो कनक, गहनो गढ़यो न जाय ॥
(घ) दीरघ साँस न लेहु दुख, सुख साईं हि न भूल । दई दई क्यौं करतू है, दई दई सु कबूलि ॥
प्रश्न 2. दुर्जन का साथ रहने से अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती । इसकी उपमा में कवि ने क्या कहा है ?
उत्तर – दुर्जन के साथ रहने से अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती, इसकी उपमा में कवि ने कहा है कि जिसकी बुद्धि भ्रष्ट होती है, वह हमेशा बुरी बातों के विषय में ही सोचता है, उसका हर काम अमानवीय होता है। दूषित आचरण के कारण उसका हर काम दोषपूर्ण होता है। वह स्वार्थी प्रवृत्ति का होता है। वह हर क्षण अपनी स्वार्थ सिद्धि के प्रयास में रहता है जिस कारण उसे अच्छे विचार या अच्छी बात कहने का अवसर ही नहीं मिलता । जैसे कपूर के पास हींग रखने पर हींग अपनी दुर्गंध का त्याग नहीं करता, उसके स्वभाव या गंध में परिवर्तन नहीं आता बल्कि पूर्ववत् दुर्गंध युक्त रहता है। तात्पर्य यह कि दुर्जन अपनी दुर्जनता कभी नहीं छोड़ता ।
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(क) नर की अरु ……………. ऊँचे होई ॥
(ख) जपमाला, छापै, तिलक …………. साँचै राँचै रामु ॥
(ग) बड़े न हूजै …………गढ्यो न जाय ।।
(घ) दीरघ साँस न लहु दुख ……….. दई सु कबूली ।।
उत्तर :
(क) नर की अरू नल नीर की गति एकै करि जोई । जेतो नीचे है चले तेतो ऊँने होई ।।
(ख) जप माला, छापै तिलक सरै न एकौ काम । मन–काँचै नाचे वृथा, साँचे राँचै रामु ॥
(ग) बड़े न हूजै गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय । कहत धतूरे सो कनक, गहनो गढ़यो न जाय ॥
(घ) दीरघ साँस न लेहु दुख, सुख साई हि न भूल । दई दई क्यों करतु है, दर्द दई सु कबूलि ॥
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. गुण नाम से ज्यादा बड़ा होता है । कैसे ?
उत्तर – ‘गुण नाम से ज्यादा बड़ा होता है’ इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति को अपने कर्म के आधार पर मान–अपमान मिलता है। जिस व्यक्ति का काम जितना लोक कल्याणकारी होता है, उसे उतना ही अधिक आदर की दृष्टि से देखा जाता है, चाहे वह नीच जाति का ही क्यों न हो ? उच्च जाति के होने पर भी यदि वह बुरा कर्म करता है तो दुनिया उसे नीच दृष्टि से देखेगी। जैसे– धतूरे का नाम तो कनक हैं, लेकिन काम कैसा है ? जेवर बनाने में सोना ही काम आता है, धतूरा नहीं । उसी प्रकार यदि नीच जाति के किसी व्यक्ति का कर्म अच्छा है तो लोग उसे सम्मानित करेंगे, न कि उच्च जाति के पतित व्यक्ति को ।
प्रश्न 2. ‘कनक’ शब्द का प्रयोग किन–किन अर्थों में किया गया है ?
उत्तर – ‘कनक’ शब्द का प्रयोग धतूरा तथा सोना के अर्थों में किया गया है ।
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